Story With Moral On Success Mantra Of Life (Key to Success)
दूसरे विचार को अपनी जिंदगी से निकाल दो। यह ही सफलता की कुंजी है
किसी नगर में एक नवयुवक रहता था जिसका नाम सुन्दर था। वह मेहनत करने से हमेशा बचता था। जब भी कोई काम उसके सामने आ जाता था जिसमे उसे मेहनत करनी हो तो वह उस कार्य से दूर भागने लगता था।
मेहनत को लेकर उसके मन में यह बात बैठ गयी थी कि वह कभी मेहनत नहीं कर सकता लेकिन उसके अंदर अच्छी बात यह थी कि वह अपने जीवन में सफल होना चाहता था।
वह सोचता था कि कैसे भी हो, उसे सफल जरूर होना है। क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसे सफलता का मंत्र (key to success) दे सके जिसकी सहायता से वह अपनी मनचाही सफलता प्राप्त कर सके।
इस प्रश्न को लेकर वह बहुत से लोगों और विद्वानों के पास गया। कोई कहता था कि माँ बाप की सेवा करना सफलता का मंत्र है तो कोई कहता था कि लोगों की मदद करना सफलता का मंत्र है। लेकिन किसी का भी उत्तर उसे संतुष्ट नहीं कर पाता था।
वह सफलता के मंत्र (success mantra) की खोज में रोज किसी न किसी व्यक्ति से मिलता था। इस मंत्र को पाने के लिए उसने अपने दिन और रात एक कर दिए थे। लेकिन कोई भी उसे सफलता का मंत्र नहीं बता पा रहा था।
एक दिन जब वह अपने नगर की एक सड़क से गुजर रहा था तो उसने एक साधु को देखा जिसे एक बहुत बड़ी भीड़ ने घेर रखा था। उस साधु को उसने पहले कभी अपने नगर में नहीं देखा था। साधु के बारे में पूछने पर पता लगा कि यह साधु लोगों के प्रश्नों के बहुत सटीक उत्तर देते हैं, आज तक कोई भी व्यक्ति उनके उत्तर से असंतुष्ट नहीं हुआ है।
सुन्दर की आंखों में चमक आ गई। उसने सोचा कि क्यों न साधु से अपने प्रश्न का उत्तर जाना जाये। अगर उन्होंने मुझे सफलता का मंत्र बता दिया तो मैं जरूर सफल हो जाऊंगा। वह साधु के पास गया और अपने बारे में उन्हें बताया।
फिर उसने साधु से पूछा, “साधु महाराज, मैं अपने जीवन में सफल होना चाहता हूँ, क्या आप मुझे सफलता का मंत्र बता सकते हैं।”
साधु के चेहरे पर मधुर मुस्कान आ गयी और तब साधु ने कहा, “तुम्हारे इस प्रश्न के बारे में मैं तुम्हें अभी नहीं बताऊंगा। इस नगर में मुझे 10 दिन तक रुकना है। तुम कल आकर मुझसे मिलो।”
अगले दिन सुन्दर साधु के पास पहुँच गया और उनसे बोला, “बताइये साधु महाराज, सफलता का मंत्र क्या है। मैं इस मंत्र को सुनने को बहुत उत्सुक हूँ।”
तभी साधु ने एक बहुत बड़ी और मोटी किताब सुन्दर को देते हुए कहा, “अगर तुम्हे सफलता का मंत्र जानना है तो इसके लिए तुम्हें इस किताब को पढ़ना होगा। इस किताब के किसी एक पेज पर सफलता का मंत्र दिया हुआ है। जैसे ही तुम उस पेज को पढ़ोगे तो तुरंत तुम्हें वह सफलता का मंत्र मिल जायेगा लेकिन शर्त यह है कि इस किताब को तुम शुरू से पढ़ोगे, यदि तुमने इसे कहीं बीच में से पढ़ा तो वह सफलता का मंत्र तुम्हें नहीं मिल पायेगा।”
सुन्दर किसी भी तरह सफलता का मंत्र जानना चाहता था। अतः उसने साधु की शर्त मान ली। सुन्दर सीधे अपने घर पहुँचा और तुरंत उस किताब को शुरू से पढ़ना शुरू कर दिया।
वह जल्दी से जल्दी उस पेज पर पहुँचना चाहता था, जहाँ सफलता का मंत्र (safalta ka mantra) लिखा हुआ था। अतः उसने किताब को लगातार पढ़ना जारी रखा। कब रात हुई और कब दिन, उसे बिलकुल भी ध्यान नहीं था।
सफलता का मंत्र पाने की उत्सुकता (Eagerness) में वह खाना और पीना तक भूल गया था। हर समय किताब पढता रहता था। नींद बहुत सताती तो कुछ देर सो जाता लेकिन उठते ही पढ़ने बैठ जाता।
7 दिन बाद जब वह किताब के आखिरी पेज पर पहुँचा तो उसे लगा कि यह तो किताब का आखिरी पेज है। इस पेज पर मुझे सफलता का मंत्र (key of success) मिलना तय है लेकिन जब वह किताब की आखिरी लाइन पर पहुँचा तो उसमे लिखा था– “अगर तुम्हें सफलता का मंत्र जानना है तो इस किताब के पिछले कवर पृष्ठ की जिल्द (Cover of back page) हटा कर देखो।
सुन्दर ने तुरंत पिछले कवर पृष्ठ की जिल्द को हटाया तो कुछ लाइन वहां लिखी हुई थीं। उन्हें पढ़ते ही वह खुशी (Happiness) से उछलने लगा और चिल्लाने लगा, “मुझे सफलता का मंत्र मिल गया! मुझे सफलता का मंत्र मिल गया।
इतना कहकर वह फिर से उन लाइन को पढ़ने लगा जिनमे यह लिखा था—
“जिस तरह तुमने इस किताब को पढ़ने के लिए अपने दिन और रात एक कर दिए, तुम्हें अपने खाने पीने का भी ध्यान नहीं रहा, हर समय सफलता का मंत्र खोजने के लिए लगातार किताब पढ़ते रहे, हमेशा सफलता के मंत्र के बारे में सोचते रहे, तुमने अपना हर पल इस किताब में सफलता का मंत्र को ढूंढने में लगा दिया, किसी भी अन्य चीज में बारे में तुमने एक पल भी नहीं सोचा, लगातार उत्साह और लगन (diligence) के साथ तुमने अपने प्रत्येक क्षण को मंत्र पाने में डुबो दिया। यदि इसी ललक (Ardor) और दृणइच्छा (Strong Will Power) के साथ तुम दुनिया के किसी भी कार्य में सफलता को प्राप्त करना चाहोगे तो कोई भी तुम्हें सफल होने से नहीं रोक सकता।”
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अर्थात अपने किसी लक्ष्य (target) तक पहुँचने के लिए खुद को इतना जगा लो कि लक्ष्य की ओर तेजी से दौड़ लगा सको और लगातार तब तक दौड़ते रहो जब तक आपका लक्ष्य आपको मिल न जाये। अतः आपको भी इसी तरह अपने Full confidence के साथ अपने goal की ओर दौड़ लगा देनी है और रुकना तभी है जब goal की प्राप्ति हो जाये।