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Motivational Short Story

ऊचाइयो पर पहुचना चाहते हो तो निचे उतरने से मत डरो -Motivational stories and inspirational stories in hindi


ऊचाइयो पर पहुचना चाहते हो तो निचे उतरने से मत डरो -

Motivational stories and inspirational stories in hindi By Devratn Agrawal 




दोस्तों मैं पहले आप से एक सवाल पूछना चाहता हूँ कि एक Road के दोनों Side,दो अलग अलग बड़ी Buildings बनी है एक Building -20 floor की है और दूसरी Building -50 floor की। और आप 20th floor कि Building के Topपर पहुच गए हो और उस Building के Top से देखते हो कि सामने 50 floorकि Building है जो बहुत ज्यादा भी खूबसूरत है और वह से दुनिया ज्यादा खूबसूरत नज़र आएगी , तो आपका मन क्या करेगा ? 



यही ना कि मुझे उस सामने वाली Building के 50th -floor पर जाना चाहिए और वहा से दुनिया को देखना चाहिए ? क्योकि आज कल ज्यादा उचाई से ही दुनिया खूबसूरत नज़र आती है । अगर आपका मन ऐसा नहीं करता तो कोई बात नहीं आप अपनी पूरी जिंदगी उस 20- floor कि Building पर ही बिताइए। पर जिसका मन करता है कि मैं उस 50- floor कि बिल्डिंग पर चढ़ूँ , मैं उनसे जानना चाहता हूँ कि वो क्या करेंगे ?। 

बिलकुल सही सोच रहे हो कोई और रास्ता ही नहीं है आपको 20-floor कि Building से पहले निचे उतरना पड़ेगा। उसके बाद आपको उस 50- floor कि Building पर पहली मंज़िल से चढ़ना शुरू करना पड़ेगा। वैसे ही ” जिंदगी को अगर आप वाकई उचाइयो पर पहुचना चाहते तो निचे उतरने से मत डरो।”


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मैं जानता हूँ कि ये सब कहने में आसान है पर करने में मुश्किल ,,,, यही सोच रहे है ना आप ? पर ऐसा बिलकुल नहीं है।  ये सब इसलिए लगता है क्योंकि आपने एक दायरा ” सुरक्षा का दायरा ” बना लिया है जिसमे रह कर आपको लगता है कि आप सुरक्षित है पर ऐसा भ्रम बिलकुल न पाले। ये भी सच है कि आप में से ज्यादा तर लोगो को ये भ्रम नहीं है लेकिन वे लोग इस दायरे को तोड़ नहीं पा रहे आखिर ऐसा क्यों ? क्योकि आज हम सब लोगो पर कुछ न कुछ जिम्मेदारी है -” सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी”





सामाजिक जिम्मेदारी- मतलब कि अपना स्टेटस बरक़रार रखने कि जिम्मेदारी ताकि लोग हम पर हसे नहीं , लोग हमारी इज्जत करे और एक रुतबा हमारा बना रहे। पर आपको ये लगता है ये आपने दायरा बना रखा है ऐसा कुछ भी नहीं क्योकि आज कि दुनिया में किसी को किसी कि कोई परवाह नहीं है और अगर लोग आप पर हसते भी है इस बात को लेकर कि अच्छी खासी नौकरी थी और वो छोड़ कर पता नहीं क्या करने लगा , 

तो भी कोई बात नहीं क्योकि पहले भी वो कौन आपको रोज रोटी खिला देता था और ना ही आगे कभी खिलाएगा। ये आप कि जिंदगी है इसमें सब कुछ आपको ही देखना है फिर आप दुसरो कि परवाह क्यों करते हो। हो सके तो इस दायरे से बहार निकलो।




पारिवारिक जिम्मेदारी – बीवी ,बच्चे , माता-पिता ,या भाई बहन को पलने कि जिम्मेदारी। इन जिम्मेदारी वजह से हम कोई और रास्ता चुनने से घबराते है कि यार सब कुछ ठीक चल रहा है अगर कुछ नया करने गया और कुछ गड़बड़ हो गई तो या हर महीने के खर्च जो किसी भी हाल में चाहिए उसका क्या होगा ? ये घबराहट, ये डर आपको निचे नहीं उतरने देता। पर विश्वास रखे कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा अगर आप वाकई जिम्मेदारी को निभाना चाहते हो तो।

याद रखो कि इन जिम्मेदारियों को न निभा पाने का डर , इंसान को ” सुरक्षा का दायरा ” बनाने और उसके अंदर ही रहने पर मजबूर कर देता है।  और उस दायरे में रहते रहते हम उसके आदि हो जाते है कि पूरी जिंदगी डरते डरते ही निकल देते है।यही वो डर है जो हर इंसान को -आपको ,मुझको रोकता है कि  रुक जा अभी Risk मत ले कुछ दिन बाद लेना। और मेरे ख्याल से कम ही लोगो कि जिंदगी में  वो दिन आताहै जब वो Risk लेने को तैयार हो जाते हैऔर  बाकि लोगो कि जिंदगी में वह दिन तो नहीं आता लेकिन बालो में सफेदी जरुर आ जाती है।


आप ही सोचो कि अगर नारायण मूर्ति ने Patni Computer से नौकरी सिर्फ इस डर से नहीं छोड़ी होती कि मुझ पर जो जिम्मेदारिया है उसका क्या होगा और सुरक्षा का दायरा बना लिया होता तो आज Infosys का कोई वजूद नहीं होता ।
धीरूभाई अम्बानी ने पेट्रोल पंम्प से बहार निकल कर Relince का सपना न देखा होता तो उनका क्या होता?




अरविन्द केजरीवाल ने IAS officer की आराम की ज़िन्दगी को छोड़कर राजनीति में उतरना और इतने कम समय में AAP को दिल्ली में इतनी बड़ी सफलता दिलाना , ऊचाई से निचे उतर कर , और ऊची मंज़िल पर चढ़ने का आपके सामने का उदाहरण है।
अगर आप वाकई सोचते हो कुछ बड़ा करने की, तो इंतज़ार किस बात का है दायर तोड़ो और कर लो दुनिया मुट्ठी में , क्योकि आप जैसे ही लोगो में से कोई आने वाले कल का धीरूभाई,अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर , नारायण मूर्ति होगा





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