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Motivational Short Story

MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI बन्दर तो पहले से ही है ?….. BY DEVARTN AGRAWAL


MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI बन्दर तो पहले से ही है

?….. BY DEVARTN AGRAWAL




जंगल में एक नदी थी और नदी में ही एक पेड़ था, एक बार दो बन्दर उस पेड़ पर बेठे थे तभी आसमान  से अचानक आवाज आई कि…. 
जो बन्दर, ” नदी के पानी में कूद जायेगा वो वो इन्सान बनकर बहार  निकलेगा ”  तभी एक बन्दर ने,- न सोचा न समझा और छलांग लगा दी। । जब  वह बन्दर पानी से बहार निकला तो दुसरे  बन्दर ने पूछा की यार ये  बता तूने विश्वास कैसे कर लिया की जो भी, जिसने भी कहा वो सच कह रहा है तभी वो कूदने वाला बन्दर बोला की  मैंने सुना और कूद गया। .. 



अब इसमें विश्वास करने की कौनसी बात है…… अरे भाई  किसी ने कहा की  पानी में कूद जाओगे  तो इन्सान बन जाओगे ,मैं तो इसलिए कूदा  की हो सकता  है की कोई सच  कह रहा हो और मैं इन्सान बन जाऊं वर्ना मेरा क्या गया बन्दर तो पहले से ही था

सन्देश – शायद आप लोगो को यकीं हो या ना हो पर बन्दर तो हम पहले से ही है , जो किसी न किसी के इशारों पर नाचते रहते है और अगर ऐसे में हमे आज़ादी का मोका मिलता है तो हम विश्वास  नहीं करते  की ऐसा भी हो सकता है।  याद रहे की विश्वास सिर्फ अपने आप पर रखो की जहा भी कूदोगे वहा  से इन्सान बन कर निकलोगे। …… 
जहा भी  मोका मिले और दिल कहे  कूद जाओ  सिर्फ ये सोच कर की बन्दर तो पहले से ही  हूँ  कोई मेरा क्या बिगड़ लेगा पर  कूदने से ये हो सकता है की मैं इन्सान बन कर निकलूं



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MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI क्या हमारी खिड़की भी गन्दी है ?….. BY Devartn Agrawal


MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI क्या हमारी खिड़की भी गन्दी है ?….. BY Devartn Agrawal






एक बार की बात है , एक नौविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , –

 “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …


!!”पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .लगभग एक महीने बाद वे यूँहीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …

आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”पति बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”” तुम्हे कैसे पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से पूछा .” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था औरमैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . 

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“, पति ने बात पूरी की .ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है : बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है की हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं . किसी के बारे में भला-बुरा कहने से पहले अपनी मनोस्थिति देख लेनी चाहिए और खुद से पूछना चाहिए की क्या हम सामने वाले में कुछ बेहतर देखने के लिए तैयार हैं या अभी भी हमारी खिड़की गन्दी है !







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MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI चाय में मक्खी है….. BY Devartn Agrawal



MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI चाय में मक्खी है….. BY Devartn Agrawal




एक व्यक्ति अपने दोस्त के यहाँ मिलने जाता है ,…दोनो एक कमरे में बेठ, आपस में बाते कर रहे थे इतने में दोस्त पूछता है की क्या लोगे ? ……चाय चलेगी ?…, हां चलेगी। …थोड़ी ही देर में दोनों के लिए चाय आती है दोनों चाय का कप उठाते है,…. 

वह व्यक्ति भी जैसे ही चाय पिने लगता है उसका ध्यान अपने चाय के कप के अन्दर जाता है और बिना कुछ कहे उठता है और चाय को खिड़की के बहार फेक देता है,…. दोस्त – क्या हुवा ? कुछ नहीं यार चाय में मक्खी थी। ……, कोई बात नहीं मैं दूसरी मंगवा देता हूँ ,…।


 थोड़ी ही देर में उसके लिए दूसरी चाय आती है। इस बार भी वही होता है। … वह चाय को जैसे ही पिने लगता है फिर से उसका ध्यान कप में जाता है और बिना कुछ कहे, उठता है और चाय को खिड़की से बहार फेक देता है… दोस्त – क्या हुवा यार फिर से कुछ था क्या ? हां यार मक्खी थी। कोई बात नहीं मैं और दूसरी बनवा देता हूँ। …


.इस बार वह दोस्त अपनी बीवी को चिल्लाया की क्या है ,देख कर चाय नहीं बना सकती, चाय में दो बार मक्खी गिर चुकी है, कम से कम मेहमानों को चाय तो देख कर दिया करो। …… 


तीसरी बार चाय बन कर आती है। … इस बार भी वही होता है वह व्यक्ति चाय का कप उठता है और जैसे ही पिने जाता है की उसकी निगाह फिर कप के अन्दर जाती है और बिना कुछ कहे खड़ा होता है परन्तु चाय को जैसे ही फेकने के लिए जाता है उसका दोस्त उसे रोक देता है – रुक- रुक क्या हुवा ? क्या फिर से मक्खी आ गई ? वो कहता है – हां , मक्खी गिरी है , दोस्त कहता है- बता , वह जैसे ही कप के अन्दर देखता है तो उसको कोई मक्खी दिखाई नहीं देती! क्या यार कहा है मक्खी ? 


… इतना कहते हुए उसका ध्यान उस दोस्त की आखों पर लगे उस चश्मे पर जाता है।” वह देखता है की उसके चश्मे पर मक्खी बेठी है” … अबे यार बेकार में ही इतनी देर से चाय को फेके जा रहा है ” मक्खी, चाय में नहीं तेरे चश्मे पर है”
सन्देश- ” एक खता मैं ता उम्र करता रहा , धुल चेहरे पर लगी थी और मैं आईना साफ़ करता रहा “
हम लोगो में से कई ऐसे है जो कभी कहते है की वह काम अच्छा नहीं , वह दोस्त अच्छा नहीं। हमेशा उनको दुसरो में ही कमिया दिखाई देती है काश की वो एक बार अपने अन्दर झांक लेते। …


य़ाद रखो की व्यक्ति को दुसरे काम या दुसरे व्यक्ति में कमी निकलने से पहले खुद को देखना चाहिए , हो सकता है की खुद के अन्दर देखने से दुसरो में कमी नहीं, खूबी दिखाई दे और आपने अन्दर कमी दिखाई दे जिसको दूर कर, हम एक सफल इन्सान बन सके

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MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI आपके अंदर आग होनी चाहिए BY Devratn Agrawal


MOTIVATIONAL STORIES AND INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI आपके अंदर आग होनी चाहिए BY Devratn Agrawal




दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ जिसे अगर आपने, अपना लिया तो निश्चित ही आपकी जिंदगी में भी वह सब कुछ होगा जो मेरी जिंदगी में है। आप भी वह सब पा सकोगे जो मैंने पाया है। आइये देखे   ऐसी कौन सी बात है जिसे मैं इतना महत्त्व दे रहा हूँ।






 वो है ” आग ” हां आग… आग- जिंदगी में कुछ कर गुजरने की , आग- दुनिया में आपने आपको साबित करने की , आग – वो सब कुछ पाने कि जो हम पाना चाहते है , वही आग – जो मेरे अंदर है और उन लोगो के अंदर है जिन्होंने कामियाबी पाई है। मेरा मानना है कि” शांत आदमी मुर्दे के सामान होता है और मुर्दा कितना भी खूबसूरत क्यों न हो उसके पास कोई भी ज्यादा देर बेठ नहीं सकता ” आप जब तक अपने जीवन में आग पैदा नहीं करोगे तब तक कामियाबी मिलना बहुत दूर कि बात है।




 याद रखो कि जिस तरह रॉकेट के पीछे आग लगते ही वह ऊचाइयों को, आसानी से छू लेता है ……उसी प्रकार जब तक आप के अंदर वह आग नहीं होगी तब तक आपके ऊचाइयों पर पहुचने के सपने , सिर्फ सपने ही रहेंगे हक़ीक़त नहीं बन पाएंगे। अगर एक बार आप के अंदर ये आग लग गई तो आपकी सारी परेशानिया और मुसीबते इसमें जल कर खाख हो जाएगी।





आप सोच रहे होंगे की ये आग कैसे जलेगी ?, कैसे लगेगी अंदर ये आग ? बहुत ही आसान है। मेरे अंदर ये आग मैं ऐसे जलाता हूँ। मैं हमेशा अपने से ज्यादा कामियाब इंसानो से मिलता हूँ और उनकी जिंदगी को करीब से जानने कि कोशिश करता हूँ और मुझे कुछ ही देर में समझ आ जाता है कि जिंदगी इतनी अच्छी भी हो सकती है। मैं घर आकर उसके पास की  हर वो चीज़ को ध्यान में लाता हूँ जो मेरे पास नहीं है। जैसे की कार, घड़ी, मोबाइल, घर, पेन, चश्मा, हर वो चीज़ जो लोगो का पाने का सपना होता है। मैं सोचता हूँ कि दुनिया में एक से एक कार लोगो के घरो में है ,


 क्या ये कार कंपनी ने मेरे लिए नहीं बनाई है ? क्या ये नोट ,ये दौलत मेरे घर में आने से मना  कर देगी ? तभी मेरे दिल से चीख निकलती है कि नहीं ही ही ही ही ही, और अंदर एक आग सी जलने लगती है ,और  मैं लग जाता हूँ वो सब पाने के लिए, जो मैं पाना चाहता हूँ। मैं अक्सर कहता हूँ दोस्तों कि average   इंसान होना एक खतरनाक बीमारी है। जरा सोचो कि जितनी  भी हमारी जिंदगी में मुसीबते आती है ,उसके जिम्मेदार हालात नहीं हम खुद है क्योकि हमारे अंदर वो आग ही नहीं जली, जो इन्हे जलाकर खाख  कर दे। 





अगर आप जीवन से उबरना चाहते हो तो किसी भी अवसर को ना गवाये। अपनी इच्छाओ , अपनी चाहतो और अपने सपनो को चुनो। शांत होकर सहने कि बजाय , खड़े होकर इस दुनिया से लड़ जाओ और कह दो चिल्ला- चिल्ला कर कि मेरे लिए भी हर वो चीज़ बनी है जो इस दुनिया में मौजूद है।



मुझे दुष्यंत कुमार की कविता याद आती है –


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हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार  , पर्दो कि तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर , हर गली में , हर नगर में , हर गाँव में
हाथ लहराते हुए , हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं , तो तेरे सीने में ही सही
हो कही भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए





दोस्तों अपने अंदर कि आग को जलाते रहने के लिए और इसके तपन का एहसास करते रहने के लिए आपको Motivational Books पढ़ते रहना चाहिए  , Motivational CD और  DVD देखते और सुनते रहना चाहिए , और हो सके तोne  Motivational seminars और Training  में शामिल होना चाहिए ,तभी बनी रहती है ये आग ,ये बुझ ही नहीं सकती क्यों कि बुझने तो तुम दोगे नहीं  और ये आग आपको याद दिलाती रहेगी कि रुक क्यों गए, आगे बढ़ो क्योकि अभी मंजिल तुमने पाई नहीं है।

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ऊचाइयो पर पहुचना चाहते हो तो निचे उतरने से मत डरो -Motivational stories and inspirational stories in hindi


ऊचाइयो पर पहुचना चाहते हो तो निचे उतरने से मत डरो -

Motivational stories and inspirational stories in hindi By Devratn Agrawal 




दोस्तों मैं पहले आप से एक सवाल पूछना चाहता हूँ कि एक Road के दोनों Side,दो अलग अलग बड़ी Buildings बनी है एक Building -20 floor की है और दूसरी Building -50 floor की। और आप 20th floor कि Building के Topपर पहुच गए हो और उस Building के Top से देखते हो कि सामने 50 floorकि Building है जो बहुत ज्यादा भी खूबसूरत है और वह से दुनिया ज्यादा खूबसूरत नज़र आएगी , तो आपका मन क्या करेगा ? 



यही ना कि मुझे उस सामने वाली Building के 50th -floor पर जाना चाहिए और वहा से दुनिया को देखना चाहिए ? क्योकि आज कल ज्यादा उचाई से ही दुनिया खूबसूरत नज़र आती है । अगर आपका मन ऐसा नहीं करता तो कोई बात नहीं आप अपनी पूरी जिंदगी उस 20- floor कि Building पर ही बिताइए। पर जिसका मन करता है कि मैं उस 50- floor कि बिल्डिंग पर चढ़ूँ , मैं उनसे जानना चाहता हूँ कि वो क्या करेंगे ?। 

बिलकुल सही सोच रहे हो कोई और रास्ता ही नहीं है आपको 20-floor कि Building से पहले निचे उतरना पड़ेगा। उसके बाद आपको उस 50- floor कि Building पर पहली मंज़िल से चढ़ना शुरू करना पड़ेगा। वैसे ही ” जिंदगी को अगर आप वाकई उचाइयो पर पहुचना चाहते तो निचे उतरने से मत डरो।”


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मैं जानता हूँ कि ये सब कहने में आसान है पर करने में मुश्किल ,,,, यही सोच रहे है ना आप ? पर ऐसा बिलकुल नहीं है।  ये सब इसलिए लगता है क्योंकि आपने एक दायरा ” सुरक्षा का दायरा ” बना लिया है जिसमे रह कर आपको लगता है कि आप सुरक्षित है पर ऐसा भ्रम बिलकुल न पाले। ये भी सच है कि आप में से ज्यादा तर लोगो को ये भ्रम नहीं है लेकिन वे लोग इस दायरे को तोड़ नहीं पा रहे आखिर ऐसा क्यों ? क्योकि आज हम सब लोगो पर कुछ न कुछ जिम्मेदारी है -” सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी”





सामाजिक जिम्मेदारी- मतलब कि अपना स्टेटस बरक़रार रखने कि जिम्मेदारी ताकि लोग हम पर हसे नहीं , लोग हमारी इज्जत करे और एक रुतबा हमारा बना रहे। पर आपको ये लगता है ये आपने दायरा बना रखा है ऐसा कुछ भी नहीं क्योकि आज कि दुनिया में किसी को किसी कि कोई परवाह नहीं है और अगर लोग आप पर हसते भी है इस बात को लेकर कि अच्छी खासी नौकरी थी और वो छोड़ कर पता नहीं क्या करने लगा , 

तो भी कोई बात नहीं क्योकि पहले भी वो कौन आपको रोज रोटी खिला देता था और ना ही आगे कभी खिलाएगा। ये आप कि जिंदगी है इसमें सब कुछ आपको ही देखना है फिर आप दुसरो कि परवाह क्यों करते हो। हो सके तो इस दायरे से बहार निकलो।




पारिवारिक जिम्मेदारी – बीवी ,बच्चे , माता-पिता ,या भाई बहन को पलने कि जिम्मेदारी। इन जिम्मेदारी वजह से हम कोई और रास्ता चुनने से घबराते है कि यार सब कुछ ठीक चल रहा है अगर कुछ नया करने गया और कुछ गड़बड़ हो गई तो या हर महीने के खर्च जो किसी भी हाल में चाहिए उसका क्या होगा ? ये घबराहट, ये डर आपको निचे नहीं उतरने देता। पर विश्वास रखे कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा अगर आप वाकई जिम्मेदारी को निभाना चाहते हो तो।

याद रखो कि इन जिम्मेदारियों को न निभा पाने का डर , इंसान को ” सुरक्षा का दायरा ” बनाने और उसके अंदर ही रहने पर मजबूर कर देता है।  और उस दायरे में रहते रहते हम उसके आदि हो जाते है कि पूरी जिंदगी डरते डरते ही निकल देते है।यही वो डर है जो हर इंसान को -आपको ,मुझको रोकता है कि  रुक जा अभी Risk मत ले कुछ दिन बाद लेना। और मेरे ख्याल से कम ही लोगो कि जिंदगी में  वो दिन आताहै जब वो Risk लेने को तैयार हो जाते हैऔर  बाकि लोगो कि जिंदगी में वह दिन तो नहीं आता लेकिन बालो में सफेदी जरुर आ जाती है।


आप ही सोचो कि अगर नारायण मूर्ति ने Patni Computer से नौकरी सिर्फ इस डर से नहीं छोड़ी होती कि मुझ पर जो जिम्मेदारिया है उसका क्या होगा और सुरक्षा का दायरा बना लिया होता तो आज Infosys का कोई वजूद नहीं होता ।
धीरूभाई अम्बानी ने पेट्रोल पंम्प से बहार निकल कर Relince का सपना न देखा होता तो उनका क्या होता?




अरविन्द केजरीवाल ने IAS officer की आराम की ज़िन्दगी को छोड़कर राजनीति में उतरना और इतने कम समय में AAP को दिल्ली में इतनी बड़ी सफलता दिलाना , ऊचाई से निचे उतर कर , और ऊची मंज़िल पर चढ़ने का आपके सामने का उदाहरण है।
अगर आप वाकई सोचते हो कुछ बड़ा करने की, तो इंतज़ार किस बात का है दायर तोड़ो और कर लो दुनिया मुट्ठी में , क्योकि आप जैसे ही लोगो में से कोई आने वाले कल का धीरूभाई,अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर , नारायण मूर्ति होगा





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सफलता पाना एक दिन की बात नहीं-Motivational stories and inspirational stories in hindi By Devratn Agrawal






सफलता पाना एक दिन की बात नहीं-Motivational stories and inspirational stories in hindi By Devratn Agrawal






सफलता पाना एक दिन की  बात नहीं की आज ही आपने सोचा कि आपको आसमान छुना है और बस निकल पड़े और छु कर लोट आए। अक्सर मैं देखता हूँ कि लोग रातो रात आमिर बनना चाहते है। शायद इस मशीनी युग में जी जी कर वो भी मशीन बनना चाहते है 



जहा हर व्यक्ति को एक आदत सी हो गई है कि इधर ATM डाला और उधर पैसे बहार , इधर गोली खाई और उधर सर दर्द बंद , इधर बटन दबाया उधर गाड़ी start ।  हर काम तुरंत चाहता है आदमी। परन्तु माफ़ करना अगर ऐसा हो कि इधर शादी की ,और उधर बच्चा बहार। 



 क्या आप इस ख़ुशी को सहन कर पाएंगे कि कल ही शादी हो और दूसरे दिन बच्चा ? नहीं  न। । याद रखो कि कुछ काम जिंदगी में ऐसे होते है जो वक़्त पर होने पर ही ख़ुशी देते है उनमे से एक सफलता  भी है जो वक़्त से पहले  पा ही नहीं सकते,  जिस प्रकार बच्चा जन्म लेने में ९ महीने का समय लेता है। उसी प्रकार कोई भी काम में आप सफलता पाना चाहते हो तो समय तो लगेगा। 




कितना समय लगेगा ?  ये आपके कार्य और उसमे कि गई मेहनत पर निर्भर करता है।  मैंने समाज में उन लोगो  अंजाम भी देखा है  जो रातो रात सफलता पाना चाहते है या शोहरत पाना चाहते है।  वे लोग इसे पाने के लिए गलत रास्ते अपना लेते है जिसका अंत न  कभी अच्छा हुआ है न ही कभी अच्छा होगा। 






याद रखो कि अगर आप भी इस दुनिया में सफलता पाने कि ख्वाईश रखते हो तो ,इंतज़ार करना सीखो और ईमानदारी से मेहनत और लगन से आपना काम करो , हो सकता है वक़्त लगे और आपका इंतज़ार बड़  जाए पर मेरा मानना है कि  पूरी दुनिया, पूरी कायनात सिर्फ और सिर्फ इस इंतज़ार में है





कि आप कब सफल होते हो ताकि आपको सलाम कर सके। याद रहे कि  जो काम सच्ची  मेहनत और सच्ची  लगन के साथ किया जाता है उसमे ऊपर वाला आपके साथ होता है और जब वो आपके साथ है तो घबराने कि जरुरत क्या है।



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Story With Moral On Success Mantra Of Life (Key to Success कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। फिर चाहे वह अपने से छोटा हो या बड़ा By Devratn Agrawal


Story With Moral On Success Mantra Of Life (Key to Success कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।  फिर चाहे वह अपने से छोटा हो या बड़ा By Devratn Agrawal








एक बार जंगल में एक बहुत बड़े गड्ढे में एक शेर गिर गया।  परेशान होकर शेर इधर उधर देखने लगा लेकिन उसे बहार निकलने का कोई भी रास्ता समझ नहीं आया।  तभी उसकी नजर एक पेड़ पर बैठे बन्दर पर पड़ी।   



जो शेर को देख रहा था।  शेर ने उसे बचने की गुहार लगाई लेकिन बन्दर उसे गड्ढे में फसा देख उसका मजाक उड़ाने लगा, क्यों बे शेर – अब कैसे रही।  तू तो बड़ा राजा बना फिरता है,  अब आई अकाल ठिकाने पर ? अब शिकारी तुझे मारेंगें, तेरी खेल निकल कर दिवार पर सजाएंगे।  



जोर जोर से चिल्लाने लगा देखो भी देखो …….राजा जी  अब शोपीस  बनेंगे। तभी अचानक जिस डाल पर बन्दर बैठा था वह टूट गई और बन्दर सीधे  शेर के सामने आ गिरा।  गिरते ही वह शेर से बोला – माँ कसम दादा , माफ़ी मांगने के लिए कूदा हूँ।
भाग्य, तक़दीर, मुकद्दर, संयोग, 



ये सभी  शब्द तो आपने सुने होंगे। इसिलए कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।  फिर चाहे वह अपने से छोटा हो या बड़ा , गरीब हो या आमिर क्योकि ये भाग्य, तक़दीर, मुकद्दर या संयोग, जैसे शब्दों का  वजूद है और हमेशा रहेगा, आप इन्हे नकार नहीं सकते। 



जितना हो सके मदद करने में यकीं करे न की मजाक उड़ाने में…भगवान न करे लेकिन जब  वह मजाक उड़ाता है तो वाकई इंसान  बन्दर की तरह माफ़ी मांगने के लायक भी नहीं रहता।



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Motivational Story#97 मैं सब जनता हूँइतना सोचे की अगर आता हैऔरजानता हूँ तो फिर करता क्यों नहीं हूँ






Motivational Story#97 मैं सब जनता हूँइतना सोचे की अगर आता हैऔरजानता हूँ तो फिर करता क्यों नहीं हूँ










div style="text-align: left;"> एक गुरु के पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा गुरु जी  मुझे आपसे कुछ नयी बाते सीखनी है। गुरूजी ने कहा – कुछ नयी बातो का मतलब ? उसने कहा गुरूजी लगातार अध्यन से मैं संसार का ज्यादातर ज्ञान ले चूका हूँ।  फिर मैंने सोचा , चलकर आप से भी कुछ ज्ञान ले लेता हूँ। यदि कुछ नया  होगा तो याद रखूँगा। 

गुरूजी ने दो खाली कप और  चाय की केतली मँगवाई। पहले खुद के कप में चाय डाली फिर उस व्यक्ति के कप में चाय डालना शुरू की।  गुरूजी चाय डालते गए , उसका कप भर गया और चाय बहार गिरने लगी। उसने कहा गुरुजी कप भर गया , चाय बहार गिर रही है। 




गुरूजी ने कहा – जिस तरह इस भरे कप में चाय डालने से बहार गिर रही है , अब यह कप और चाय नहीं ले सकता।  ठीक इसी तरह मैं तुम्हारे भरे दिमाग में और ज्ञान कहा से डाल सकता हूँ।  यदि ज्ञान चाहते हो तो पहले अपना दिमाग खली कर आओ।





दोस्तों अगर आप भी जीवन में कुछ पाना चाहते हो तो अज्ञानी बन जाइए और ज्ञान को भीतर आने दीजिये।  मैं जनता हूँ की ये दुनिया ज्ञानियो से भरी पड़ी है और कुछ ज्ञानी ऐसे भी है जो सुब कुछ जानते है लेकिन कुछ भी जीवन में नहीं उतारते।  कुछ ज्ञानी ऐसे है जो कुछ नहीं जानते लेकिन दिखावा ऐसा करते है



 जैसे सब कुछ जानते हो।  अक्सर दिखावा और अहंकार लोगो को ज्ञान की बाते सिखने नहीं देता। इनसब से पर होकर सिर्फ अपना भला सोचो, और जितना हो सके सिखने और जानने की कोशिश करो।  याद रखो कि कभी  भी यह न सोचे की मुझे सब आता है या मैं सब जनता हूँ।  बस इतना सोचे की अगर आता है और जानता हूँ तो फिर करता क्यों नहीं हूँ।



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Motivational Story by Devratn Agrawal मन को शांति और हमे सफलता कैसे मिलेगी



Motivational Story by Devratn Agrawal मन को शांति और हमे सफलता कैसे मिलेगी 






आज की दुनिया में हर इंसान सिर्फ अपना अपना देखने में लगा है। किसी को भी किसी और की चिंता नहीं है। थोड़ी सी भी दया आज किसी में बची नहीं है कभी धर्म के नाम पर लड़ रहे है तो कभी दौलत और लालच के नाम पर तो कभी अमीरी गरीबी के नाम पर ,….




बस एकता और भाईचारे को तो जैसे हमने ज़मीं में दफ़न ही कर दिया है। दोस्तों वाकई अगर हम सब एक हो जाए तो किसी देश की इतनी हिम्मत नहीं की वो हमारी तरफ आँख उठा कर भी देख सके घर में घुसने की तो बात ही छोड़ दो । बस एक बार अगर हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आपस मे है सब भाई भाई का नारा एक आवाज में लग जाए और हम सब देश के प्रति ,लोगो के प्रति, समाज के प्रति परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ ले दोस्तों और जान ले की अगर हम सब एक साथ नहीं रहे तो हमारा देश और हम सब अपनी ताकत खो देंगे। शायद हम खुद ही अपने देश, अपने संस्कार , अपने समाज और अपने आप को खोखला और कमजोर कर रहे है। कोशिश करता हूँ एक कहानी के माध्यम से समझने की


एक बार एक शरीर की सारी इन्द्रियाँ एकमत हुई और हड़ताल कर दी | इन्द्रियाँ मानती थी कि वो अथाह मेहनत करती है लेकिन फिर भी उन्हें उनका श्रेय नहीं मिलता और उन्होंने कहा सारा दिन मेहनत हम करें और मेहनत का सारा माल ये सारा पेट हजम कर जाए वो भी अकेला ये तो हमारे लिए असहनीय है | आँख कान नाक पांव सबने अपने अपने दल बना लिए सभी का कहना था कि अब वो लोग खुद कमाई करेंगे |उस कमाई को वो खुद खायेंगे और किसी दुसरे के साथ वो इसे साझा नहीं करेंगे ।


पेट ने सबको समझाया कि तुम लोग जितनी मेहनत करते हो और कमाकर मुझे खिलाते हो वो सब मैं तुम्ही को तो लौटा देता हूँ ताकि तुम लोग मजबूत बनो और इसलिए तुम अपनी हड़ताल करने का इरादा त्याग दो और इसमें भी तुम्हारा ही नुकसान है ये सही नहीं है लेकिन किसी ने भी उसकी एक नहीं सुनी |सभी इन्द्रियों ने कहा तुम तानाशाह हो और पेट की नहीं मानते हुए उन्होंने अपनी हड़ताल शुरू रखी और काम करना बंद कर दिया | पेट को कुछ नहीं मिलने के कारण शरीर ने रक्त रस कम हो गया और इन्द्रियां भी कमजोर होने लगी | 




सभी अंगो की शक्तियाँ भी कम होने लगी और धीरे धीरे पूरा शरीर कमजोर पड़ने लगा। तो अब इन्द्रियों को अपने किये पर पछतावा होने लगा और दिमाग ने उनको चेताया कि तुम्हारे काम करने के तुम्हारी मेहनत न केवल पेट भरता है बल्कि जो तुम उसके लिए करते हो वो उतना बल्कि उस से अधिक तुम्हारे पास लौट कर वापिस आता है | दूसरों की सेवा कर हम कभी घाटे में नहीं रहते बाकि ये हमेशा अच्छा होता है |



तुम अपना कर्तव्य पूरा करो और तुम्हे उसका फल अवश्य ही मिलेगा | दिमाग की बाते सुनकर इन्द्रियां काम पर लौट आई | और फिर सारी इन्द्रियां स्वस्थ हो गई पूरा शरीर स्वस्थ हो गया  और फिर तब से  शरीर के सभी अंग एक साथ रह कर एक साथ काम करने लगे और एक दूसरे को ताकत देने लगे तो तो पाया कि शरीर भी स्वस्थ और ताक़तवर होते चला गया।




इसी प्रकार ये देश हमारा शरीर है और हम सब इसके अंग अगर हम अगर हम आपस में ही एक दुसरो के प्रति ईर्ष्या , द्वेष और बदले की भावना रखेंगे तो नुकसान पुरे शरीर को होगा और हर अंग को होगा। एक बनो नेक बनो और एक दूसरे को आगे बढ़ने की ताक़त दो , हो सके उतना सहयोग करो और फिर देखो देश को और हमारे मन को कितनी  शांति और तरक्की मिलती है।

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बुलंद होसलों की कहानी- best motivational story in hindi ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।



बुलंद होसलों की कहानी- best motivational story in hindi ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।








मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती।
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है;

1 problem पर focus करके(problem focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)


Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है।

दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था।



नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना। उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।



आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।



अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये;
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है



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Story With Moral On Success Mantra Of Life (Key to Success) दूसरे विचार को अपनी जिंदगी से निकाल दो। यह ही सफलता की कुंजी है


Story With Moral On Success Mantra Of Life (Key to Success)

दूसरे विचार को अपनी जिंदगी से निकाल दो। यह ही सफलता की कुंजी है






किसी नगर में एक नवयुवक रहता था जिसका नाम सुन्दर था। वह मेहनत करने से हमेशा बचता था। जब भी कोई काम उसके सामने आ जाता था जिसमे उसे मेहनत करनी हो तो वह उस कार्य से दूर भागने लगता था।


मेहनत को लेकर उसके मन में यह बात बैठ गयी थी कि वह कभी मेहनत नहीं कर सकता लेकिन उसके अंदर अच्छी बात यह थी कि वह अपने जीवन में सफल होना चाहता था।
वह सोचता था कि कैसे भी हो, उसे सफल जरूर होना है। क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसे सफलता का मंत्र (key to success) दे सके जिसकी सहायता से वह अपनी मनचाही सफलता प्राप्त कर सके।


इस प्रश्न को लेकर वह बहुत से लोगों और विद्वानों के पास गया। कोई कहता था कि माँ बाप की सेवा करना सफलता का मंत्र है तो कोई कहता था कि लोगों की मदद करना सफलता का मंत्र है। लेकिन किसी का भी उत्तर उसे संतुष्ट नहीं कर पाता था।

वह सफलता के मंत्र (success mantra) की खोज में रोज किसी न किसी व्यक्ति से मिलता था। इस मंत्र को पाने के लिए उसने अपने दिन और रात एक कर दिए थे। लेकिन कोई भी उसे सफलता का मंत्र नहीं बता पा रहा था।
एक दिन जब वह अपने नगर की एक सड़क से गुजर रहा था तो उसने एक साधु को देखा जिसे एक बहुत बड़ी भीड़ ने घेर रखा था। उस साधु को उसने पहले कभी अपने नगर में नहीं देखा था। साधु के बारे में पूछने पर पता लगा कि यह साधु लोगों के प्रश्नों के बहुत सटीक उत्तर देते हैं, आज तक कोई भी व्यक्ति उनके उत्तर से असंतुष्ट नहीं हुआ है।

सुन्दर की आंखों में चमक आ गई। उसने सोचा कि क्यों न साधु से अपने प्रश्न का उत्तर जाना जाये। अगर उन्होंने मुझे सफलता का मंत्र बता दिया तो मैं जरूर सफल हो जाऊंगा। वह साधु के पास गया और अपने बारे में उन्हें बताया।
फिर उसने साधु से पूछा, “साधु महाराज, मैं अपने जीवन में सफल होना चाहता हूँ, क्या आप मुझे सफलता का मंत्र बता सकते हैं।”
साधु के चेहरे पर मधुर मुस्कान आ गयी और तब साधु ने कहा, “तुम्हारे इस प्रश्न के बारे में मैं तुम्हें अभी नहीं बताऊंगा। इस नगर में मुझे 10 दिन तक रुकना है। तुम कल आकर मुझसे मिलो।”
अगले दिन सुन्दर साधु के पास पहुँच गया और उनसे बोला, “बताइये साधु महाराज, सफलता का मंत्र क्या है। मैं इस मंत्र को सुनने को बहुत उत्सुक हूँ।”
तभी साधु ने एक बहुत बड़ी और मोटी किताब सुन्दर को देते हुए कहा, “अगर तुम्हे सफलता का मंत्र जानना है तो इसके लिए तुम्हें इस किताब को पढ़ना होगा। इस किताब के किसी एक पेज पर सफलता का मंत्र दिया हुआ है। जैसे ही तुम उस पेज को पढ़ोगे तो तुरंत तुम्हें वह सफलता का मंत्र मिल जायेगा लेकिन शर्त यह है कि इस किताब को तुम शुरू से पढ़ोगे, यदि तुमने इसे कहीं बीच में से पढ़ा तो वह सफलता का मंत्र तुम्हें नहीं मिल पायेगा।”


सुन्दर किसी भी तरह सफलता का मंत्र जानना चाहता था। अतः उसने साधु की शर्त मान ली। सुन्दर सीधे अपने घर पहुँचा और तुरंत उस किताब को शुरू से पढ़ना शुरू कर दिया।
वह जल्दी से जल्दी उस पेज पर पहुँचना चाहता था, जहाँ सफलता का मंत्र (safalta ka mantra) लिखा हुआ था। अतः उसने किताब को लगातार पढ़ना जारी रखा। कब रात हुई और कब दिन, उसे बिलकुल भी ध्यान नहीं था।
सफलता का मंत्र पाने की उत्सुकता (Eagerness) में वह खाना और पीना तक भूल गया था। हर समय किताब पढता रहता था। नींद बहुत सताती तो कुछ देर सो जाता लेकिन उठते ही पढ़ने बैठ जाता।
7 दिन बाद जब वह किताब के आखिरी पेज पर पहुँचा तो उसे लगा कि यह तो किताब का आखिरी पेज है। इस पेज पर मुझे सफलता का मंत्र (key of success) मिलना तय है लेकिन जब वह किताब की आखिरी लाइन पर पहुँचा तो उसमे लिखा था– “अगर तुम्हें सफलता का मंत्र जानना है तो इस किताब के पिछले कवर पृष्ठ की जिल्द (Cover of back page) हटा कर देखो।
सुन्दर ने तुरंत पिछले कवर पृष्ठ की जिल्द को हटाया तो कुछ लाइन वहां लिखी हुई थीं। उन्हें पढ़ते ही वह खुशी (Happiness) से उछलने लगा और चिल्लाने लगा, “मुझे सफलता का मंत्र मिल गया! मुझे सफलता का मंत्र मिल गया।



इतना कहकर वह फिर से उन लाइन को पढ़ने लगा जिनमे यह लिखा था—
“जिस तरह तुमने इस किताब को पढ़ने के लिए अपने दिन और रात एक कर दिए, तुम्हें अपने खाने पीने का भी ध्यान नहीं रहा, हर समय सफलता का मंत्र खोजने के लिए लगातार किताब पढ़ते रहे, हमेशा सफलता के मंत्र के बारे में सोचते रहे, तुमने अपना हर पल इस किताब में सफलता का मंत्र को ढूंढने में लगा दिया, किसी भी अन्य चीज में बारे में तुमने एक पल भी नहीं सोचा, लगातार उत्साह और लगन (diligence) के साथ तुमने अपने प्रत्येक क्षण को मंत्र पाने में डुबो दिया। यदि इसी ललक (Ardor) और दृणइच्छा (Strong Will Power) के साथ तुम दुनिया के किसी भी कार्य में सफलता को प्राप्त करना चाहोगे तो कोई भी तुम्हें सफल होने से नहीं रोक सकता।”

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दोस्तों! इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। किताब के पिछले कवर पृष्ठ की जिल्द (Cover of back page) के नीचे लिखे शब्द सफलता के मंत्र (safalta ke mantra) ही कहे जायेंगे। क्योकि यदि आप किसी भी चीज को पाने के लिए अपना सब कुछ भूलकर अपना हर पल उस चीज को पाने में लगा देते हो तब आप खुद को और अपने प्रत्येक पल को उस चीज पर केंद्रित (Focused) कर देते हो।
उस समय आपकी पूरी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा (Physical and mental energy) आपके लक्ष्य पर concentrate हो जाती है, तब बाकी सभी चीजें हमें ध्यान नहीं रहती। यही वह position है जब success खुद हमारे घर का पता पूछते हुए हमारे पास आ जाती है।


स्वामी विवेकानंद जी (swami vivekananda) ने सच ही कहा है कि–

“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य (सफलता) की प्राप्ति न हो जाये।”

अर्थात अपने किसी लक्ष्य (target) तक पहुँचने के लिए खुद को इतना जगा लो कि लक्ष्य की ओर तेजी से दौड़ लगा सको और लगातार तब तक दौड़ते रहो जब तक आपका लक्ष्य आपको मिल न जाये। अतः आपको भी इसी तरह अपने Full confidence के साथ अपने goal की ओर दौड़ लगा देनी है और रुकना तभी है जब goal की प्राप्ति हो जाये।



विवेकानंद जी हमें सफलता का मंत्र  (success mantra) कुछ इस तरह भी बताते हैं–

“अपना जीवन एक लक्ष्य पर निर्धारित करो। अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य से भर दो और हर दूसरे विचार को अपनी जिंदगी से निकाल दो। यह ही सफलता की कुंजी है।”

मुझे यहाँ “ओम शांति ओम” फिल्म के दो डायलॉग (two dialogue of Om Shanti Om movie) याद आ रहे हैं–

पहला– “कहते हैं अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो … तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है।”
और दूसरा– “इतनी शिद्दत से मैंने तुम्हे पाने की कोशिश की है … कि हर ज़र्रे ने मुझे तुमसे मिलाने की साज़िश की है।”
दोस्तों! यह सिर्फ फिल्मी डायलॉग (filmy dialogue) नहीं है बल्कि सफलता के वह मंत्र हैं जो आपको आपके target तक पहुँचा देते हैं।

पहला डायलॉग बताता है कि यदि हम किसी चीज (लक्ष्य) को दिल से चाहते हैं तो इस ब्रम्हांड की हर शक्ति (powers of universe) आपका पक्ष लेती है और आपको आपके target तक पहुचने में help करती है।
दूसरा डायलॉग हमें बताता है कि यदि आप किसी भी चीज (लक्ष्य) को अपनी पूरी इच्छाशक्ति (Willpower) के साथ पाने की कोशिश करते हैं तो आपके शरीर का प्रत्येक रोम अपनी पूरी शक्ति के साथ उस टारगेट को पाने में लग जाता है और तब प्रकृति (nature) आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए साजिश (सहायता) रच देती है।

अब मुझे पूर्ण विश्वास (Full confidence) है कि सुन्दर की तरह आपको भी जीवन में सफलता का मंत्र (Key to success in life) मिल गया होगा।
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