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Motivational Short Story

Motivational True Story In Hindi | 8 बजे तक घर आ जाना


Motivational True Story In Hindi | 8 बजे तक घर आ जाना





दोस्तों कभी – कभी हमारे माँ – बाप हमें कुछ ऐसा करने को कहते है। जो हमारी समझ से परे होता है। आपने कई बार उनकी बातों पर गुस्सा भी किया होगा। कुछ लोगो ने तो यह भी बोला होगा की यह हमारी जिंदगी है। यह हमारे ही हिसाब से चलेगी। हम आपकी बात क्यों माने। आपको क्या लगता है। हमारे माँ – बाप हमारे साथ गलत कर रहे है या फिर सही कर रहे है। इस बात को एक Motivational True Story से समझते है। Motivational True Story in Hindi | 8 बजे तक घर आ जाना





यह Motivational True Story in Hindi शुरु होती है, गुजरात से। गुजरात में एक छोटा सा परिवार रहता था। जिसमें पति – पत्नी और उनके दो बच्चे थे। उनके बड़े बेटे का नाम राहुल और छोटी बेटी का नाम रितु था। उनकी जिंदगी हँसी – खुसी बीत रही थी। उनके पिता उनके परिवार की सबसे मजबूत कड़ी थे। उन्होंने अपने परिवार और बच्चो के लिए कुछ नियम बनाये थे।
सभी को उन्ही नियम के मुताबिक चलना होता था। अगर कोई नियम तोड़ देता था तो उसे सजा भी मिलती थी। उन्ही नियम में से एक नियम था की सभी को ८ बजे से पहले घर में होना चाहिए, लेकिन एक दिन बच्चो ने यह नियम तोड़ दिया

यह बात नवरात्रो की है। नवरात्रो के दिनों में गुजरात में डांडिया खेला जाता है। बच्चे पास के ही मैदान में डांडिया खेलने गए हुए थे। पिता अपने काम से घर वापस लौटे तो उन्होंने देखा बच्चे घर पर नहीं है। इसके बाद उन्होंने दीवार पर लगी घडी को देखा। जिसमे ८ बजे हुए थे।
पिता हाथ मुँह धोकर खाने के लिए बैठ गए। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा – खाना ले आओ। पत्नी बोली – क्या हमे बच्चो का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। पति ने अपनी पत्नी की ओर देखा और ऊँचे स्वर में फिर से कहा – खाना ले आओ। पत्नी चुप – चाप कहा ले आयी।
कुछ समय बाद घर का दरवाजा खुला। बच्चे अंदर आये। पिता ने बच्चों को देखते ही कहा – गेट आउट। वे दोनों चुप – चाप घर से बाहर चले गए। दोनों की समझ में नहीं आ रहा था की ८ बजे से पहले घर आना क्यों जरूरी है। कुछ समय बाद दोनों को अंदर बुलाया गया। पिता ने उनसे कहा – अगर मेरे घर में रहना है तो मेरे हिसाब से चलना होगा।




वे दोनों बच्चे पिता द्वारा बनाये गए नियमो के हिसाब से चलते रहे। दोनों ने अपनी पढाई पूरी की और डॉक्टर बन गए। वे दोनों आज भी ८ बजे से पहले घर पहुँचते थे लेकिन वे आज तक नहीं जानते थे की ८ बजे से पहले घर पर पहुँचना जरुरी क्यों है। अपने पिता से यह बात पूछने की उनकी हिम्मत कभी भी नहीं हुई।
एक दिन उनके परिवार की सबसे मजबूत कड़ी टूट गयी। उनके पिता का देहांत हो गया। अब उनके परिवार को एक ऐसे इंसान की जरूरत थी। जो सारी की सारी जिम्मेदारी उठा सके। राहून ने परिवार की वो मजबूत कड़ी बनने का फैसला लिया। जो उसके पिता हुआ करते थे।
घर के सभी लोगो ने इकठ्ठे होकर यह फैसला लिया की हम आज भी अपने पिता द्वारा बनाये गए नियमो पर ही चलेंगे लेकिन उनमे से आज भी कोई नहीं जानता था की ८ बजे से पहले घर क्यों आना चाहिए। यह उन सभी के लिए एक पहेली बनी हुई थी।

दोनों बच्चो ने एक हॉस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया। एक दिन राहुल के पास एक मरीज आया। राहुल ने ध्यान से देखा तो यह उसके बचपन का दोस्त मोहन था। राहुल ने उससे कहा – तुमने अपनी यह कैसी हालत बना रखी है।

मोहन बोला – यार मत पूछ, काश मेरे पिता भी मुझे ८ बजे से पहले घर बुला लेते तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं होती। राहुल जानना चाहता था की ८ बजे के बाद ऐसा क्या होता है। जिससे बच्चो की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। राहुल ने जिज्ञासा से पूछा – तुम्हारा क्या मतलब की ८ बजे से पहले बुला लेते।
कुछ देर तक कमरे में सन्नाटा रहा। मोहन ने राहुल से कहा – हम दोनों साथ खेले। हमारा बचपन साथ में बीता लेकिन तुम आज एक डॉक्टर हो और मैं कुछ भी नहीं। इस दुनिया में जितने भी गलत काम होते है। वे सभी ८ बजे के बाद ही होते है। शरीफ लोग ज्यादातर ८ बजे से पहले ही घर चले जाते है।


मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ देर रात तक घर से बाहर रहता था। मुझे तरह – तरह के लोग मिलते थे और उन लोगो से ही मुझे दारु, बीड़ी, सिगरेट और नशे की आदत लग गयी। धीरे – धीरे करके मैं गलत संगति में पड़ता चला गया। इन सब में मैं इतना उलझा हुआ था की मैं अपने करियर के बारे में कभी भी सोच ही नहीं पाया।

अब राहुल को सब कुछ समझ में आ गया था की उनके पिता यह क्यों बोलते थे की ८ बजे तक घर आ जाना। आज उसे अपने पिता द्वारा बनाये गए नियमो पर गर्व हो रहा था। वह घर पहुँचा। उसके बच्चे कहि जाने के लिए तैयार हो रहे थे।
राहुल ने उनसे कहा – ८ बजे से पहले घर आ जाना। बच्चो ने जवाब दिया। पिताजी समय बदल गया। हमे हमारी जिंदगी हमारे हिसाब से जीने दो। हम जब चाहेंगे तब घर आयेंगे। राहुल ने ऊँचे स्वर में कहा – समय कभी भी नहीं बदलता। बदलते है तो लोग और उनकी सोच।

अगर अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहते हो तो घर भी अपने ही हिसाब से ढूँढ लेना। मेरे घर में रहना है तो मेरे बनाये गए नियमो के हिसाब से चलना पड़ेगा। ८ बजे से पहले का मतलब ८ बजे से पहले।


दोस्तों इस Motivational True Story से मैं आपको यह समझाना चाहता हूँ की माँ – बाप अपने बच्चो को कभी भी गलत सलाह नहीं देते। उनकी हर बात में उनकी पूरी जिंदगी का तजर्बा छुपा होता है। आप भले hi अपने मन की करो लेकिन एक बार आपके माँ – बाप जो कह रहे है। उस बारे में जरूर सोच लेना। Motivational True Story in Hindi | 8 बजे तक घर आ जाना
आपके जो भी दोस्त ८ बजे के बाद घर आते है। उनके साथ यह article जरूर share कीजियेगा। आपको यह article कैसा लगा मुझे अपने comment के द्वारा जरूर बताइयेगा

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